Anil Ambani’s Reliance Infra says NCLAT suspends NCLT order admitting co into insolvency; Reliance Infrastructur

वक्त बदलते देर नहीं लगता है… भारतीय शेयर बाजार में बुधवार को अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (Reliance Infrastructure Ltd) के शेयर ने धमाल मचा दिया है. कंपनी का स्टॉक एक ही दिन में 11% तक चढ़ गया, जिससे निवेशकों की चांदी हो गई. इससे पहले रिलायंस पावर (Reliance Power) के शेयर में भी जोरदार तेजी देखी गई थी.

अब एक और रिलायंस ग्रुप कंपनी के प्रदर्शन ने मार्केट में हलचल मचा दी है. आज Reliance Infrastructure का शेयर बीएसई पर 11.11% की तेजी के साथ 380.05 रुपए पर बंद हुआ है. वहीं, Reliance Power का शेयर 3.75% की तेजी 61.10 की तेजी के साथ बंद हुआ है.

शेयरों में तेजी के पीछे पॉजिटिव खबर

शेयर में तेजी के पीछे एक पॉजिटिव खबर है. कंपनी ने स्टॉक मार्केट एक्सचेंज को जानकारी देते हुए कहा कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को राहत देते हुए नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने बुधवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के उस आदेश को निलंबित कर दिया है. जिसने कंपनी को दिवाला समाधान प्रक्रिया में स्वीकार कर लिया था. एनसीएलटी ने इस साल 30 मई को ये आदेश पारित किया था. पिछले एक महीने में कंपनी के शेयर ने 51.78 प्रतिशत तक का रिटर्न दिया है. 1 साल में शेयर ने 143.83 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.

कब से शुरू हुआ विवाद

विवाद 2011 में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और धुरसर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड (डीएसपीपीएल) के बीच साइन ऊर्जा खरीद समझौते (ईपीए) को लेकर शुरू हुआ था. समझौते के तहत, रिलायंस इंफ्रा ने डीएसपीपीएल के सौर पावर प्लाट द्वारा उत्पादित सभी बिजली खरीदने की प्रतिबद्धता जताई थी. ईपीए के तहत पेमेंट सुरक्षित करने के लिए, डीएसपीपीएल ने बाद में 2012 में आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेज लिमिटेड के साथ एक सीधा समझौता किया, जिसमें ट्रस्टी कंपनी को डीएसपीपीएल के दावों के धारक के रूप में नामित किया गया.

2017 और 2018 के बीच, डीएसपीपीएल ने एनर्जी की आपूर्ति की और रिलायंस इंफ्रा को 10 चालान जारी किए. बकाया भुगतान न करने के बाद, आईडीबीआई ट्रस्टीशिप ने अप्रैल 2022 में दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत एक डिमांड नोटिस जारी किया, जिसमें 88 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की मांग की गई.

आदेश को वापस लेने की मांग करेगी

ईटी के रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने कंपनी के साथ ऊर्जा खरीद समझौते के अनुसार टैरिफ के दावे के लिए धुरसर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड को 92.68 करोड़ रुपये का पूरा भुगतान किया है. कंपनी ने माननीय एनसीएलएटी के समक्ष अपील की और कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया और अंतरिम समाधान पेशेवर की नियुक्ति के लिए केस नंबर सीपी (आईबी) 642/एमबी/2022 में एनसीएलटी मुंबई द्वारा पारित 30 मई, 2025 के आदेश को वापस लेने की मांग करेगी.

Leave a Comment